जहाँगीर और शाह अब्बास मित्रता

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(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )

इस पेंटिंग में कलाकार ने जहागीर व शाह अब्बास की मित्रता को एक नया ही स्वरूप पेश किया है यह जीवित महत्वपूर्ण पेंटिंग लगभग 1618 से ही बरक़रार है और अब क्रमश: गले मिलते हुए दो शाही व्यक्ति , जो एक भेड़ पर है और एक शेर पर खड़ा है जिनके बारे में व इनकी दुनिया के बारे में आराम से पता चलता है | शिलालेख से पता चलता है की पूर्व में शाह अब्बास उस अवधि के दोरान फारस के सम्राट थे जहागीर मुग़ल वंश में चौथे महान सम्राट और संरक्षक भी थे | अब इस अजीब पेंटिंग को ही देखिये क्योकि यह अच्छी तरह से इतिहास में है की इन दोनों हस्तियों का वास्तिविकता में जो कभी भी नही मिले , इस प्रकार मुग़ल कला के इस शानदार टुकड़ा कम से कम कहने के लिए काल्पनिक है ,इस तरह के एक अनैतिहासिक द्रश्य एतिहासिक की जानकारी का एक स्त्रोत के रूप में कार्य कर सकते है |दोनों राजाओ को उनके सम्न्धित देशो के पारम्परिक वेशभूषा में चित्रित कर रहे है | जहागीर कद में बड़े दिखाए गये है और लगभग एक कृपालु तरीके से फारसी सम्राट को गले लगते दिखाया गया है | सच में शाह अब्बास एक सक्तिशाली प्रतिद्वंदी था | फारसी राजा विनम्र होकर एक भेड़ पर खड़ा है वही जहागीर एक शक्तिशाली राजा एक बहुत बड़े शेर पर खड़ा है इस पेंटिंग में कलाकार दो राजाओ के बीच , जो एक शक्तिशाली और एक कमजोर है , इन दोनों की मित्रता दिखाई गई है |जो भेड़ पर खड़ा है वह कमजोर है और जो शेर पर खड़ा है वह ताकतवर राजा है | जैसे – भेड़ और शेर की मित्रता है वैसे ही कमजोर और ताकतवर की मित्रता है , और इसका साक्षी है –सूर्य और चन्द्रमा ,| ये तीनो ही काल्पनिक मित्रता के प्रतीक है जिसका नाम है – जहागीर और शाह अब्बास मित्रता ||