गजरूपा

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(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )

हाथी पृथ्वी पर सबसे विशाल जानवर है | इसे धरती पर सबसे ताकतवर जानवर भी माना जाता है | आमतोर पर , यह एक जंगली जानवर है हालांकि , यह उचित प्रशिक्षण के बाद चिड़िया घर में या मनुष्यों के साथ घर में , एक पालतू जानवर के रूप में भी रह सकता है | यह मानवता के लिए बहुत ही उपयोगी जानवर साबित हो चूका है | यह आमतोर पर ग्रे (स्लेटी ) रंग का पाया जाता है इसके चारो पैर विशाल स्तम्भ की तरह लगते है पर दो बड़े कान पंखो की तरह लगते है | इसकी आँख शरीर की तुलना में बहुत ही छोटी होती है | यह एक लम्बी सूंढ़ और एक छोटी पूंछ रखता है | यह अपनी सूंढ़ के माध्यम से बहुत बहुत छोटी से छोटी सुई जैसी वस्तु और भारी से भारी पेड़ो या वजन को उठा सकता है , यह सूंढ़ के दोनों तरफ एक एक सफ़ेद दांत रखता है , हाथी जंगलो में रहते है और आमतोर पर छोटी टहनियो , पतिओ , भूसा और जंगली फल खाते है हालांकि , एक पालतू हाथी रोटी ,केले ,गन्ने आदि भी खाते है | यह शुद्ध शाकाहारी जंगली जानवर है | आजकल , ये लोगो के द्वारा भारी सामान को उठाने , सर्कस में ,वजन उठाने ,आदि के लिए प्रयोग किये जाते है | प्राचीन समय में ,ये राजा ,महाराजाओ के द्वारा युद्ध और लड़ाईओ में प्रयोग किये जाते थे | यह बहुत लम्बे समय तक जीवित रहता है (100 सालो से भी अधिक ) यहाँ तक की यह मृत्यु के बाद भी बहुत अधिक उपयोगी होता है इसी कोशल की वजह से देवी –देवताओ को भी हाथी सर्व प्रिय था | एक बार श्री कृष्ण और रुक्मणी जी हाथी पर विराजमान होकर जंगल में भ्रमण करने गये ,और साथ में रुक्मणी जी की नो दासिया भी सेवा में थी , जंगल में हाथी भ्रमण करते करते आगे निकल गया , जो की महल से बहुत दूर था | अब भगवान कृष्ण और रुक्मणी जी महल कैसे जाते ,,तब दासियो ने मिलकर एक गज का रूप धरा और भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी जी को अपने ऊपर विराजमान किया और महल ले कर गये | इस पेंटिंग के माध्यम से दासी का भगवान के प्रति जो समर्पण था वो दिखाया गया है –जिसे कलाकार ने नाम दिया है - गजरूपा | |