रूप-रस-पान
English(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )
इस पेंटिंग में कलाकार ने हरम में रूप-रस-पान का द्रश्य दिखाया है जहा एक राजा अपनी रानी के साथ रनिवास में रूप-रस-पान का आनंद उठा रहा है , और दो दासियाँ अपने राजा में कामुकता लाने के लिए समलेगिकता में डूबी हुई है , और एक दासी राजा को मदिरा पान करवा रही है यह द्रश्य महल के प्रागण में अपने आप में एक अदभुत नजारा पेश कर रहा है | इस पेंटिंग में रनिवास के अन्दर जो महल के खम्भे और परदे व महराव और उन पर की गई कारीगरी इस पेंटिंग में और भी अधिक रोचकता लाती है | हरम किसी एक पुरुष की अनेक स्त्रियों के रहने के उस स्थान को कहते हैं जहाँ अन्य मर्दों का जाना वर्जित होता है। यह प्रथा मध्य पूर्व से शुरु हुई और अब पाश्चात्य सभ्यता में इसे उसमानी साम्राज्य से जोड़कर देखा जाता है। दक्षिणी एशिया में इसको पर्दा प्रथा कहते हैं।मुगल सम्राट महिलाओं ने अन्त: पुर के अन्दर अपना पूरा जीवन बिताया | जब हम एक मुगल के अन्तपुर की बाते जब आज भी सुनते है तो भय की स्थिति हो जाती है , बहुत सी बातें लिखी गई हैं और बहुत सी बातो का मुगल महिलाओं के जीवन के बारे में अनुमान लगाया गया है। जिस तरह से मुगल महिलाओं को अपने जीवन, अपने निवास स्थानों, उनके भोजन और कपड़े, परदा और धर्म, सुख और लीलाओं, सीखने और शिक्षा और यहां तक कि अपने प्यार और असन्तोष खर्च हमेशा कई लोगों के लिए हित के मामलों पर बने हुए हैं। मुगल महिलाओं कोई साधारण महिलाओं में से नही थे। वे शाही महिलाओं में से थी । और इसलिए, उनके सामाजिक जीवन निश्चित रूप से मध्यकालीन बार की साधारण महिलाओं के उस से बहुत अलग था। मुगल सम्राट के हरम महिलाओं की एक बड़ी संख्या में शामिल थे और यह अलग दौड़, प्रांतों और समुदायों की महिलाओं में रहते थे। इसके आलावा मुसलिम महिलाओ से ,वहा राजपूत महिलाओ सहित हिन्दू महिलाओ और मुग़ल सम्राटो के अन्तपुर में इसाई महिलाये भी थी | शाही सुंदर कपड़े, गहने, घरेलू और फैंसी लेख के साथ शाही महिलाओं को प्रदान की है। * * * * * मनोरंजन और शगल के बाद अन्त महिलाओं को शायद ही कभी महल के बाहर जाने दिया गया हो , अपने समय के सबसे सुन्दर व बड़े रनिवास के अंदर खर्च किया गया ।कर्मचारियों को अन्तपुर से सम्बन्धित कर्तव्यों का पालन करने हेतु नियुक्त किया गया था | शाही महिलाओं ज्यादातर अडोरिग सजाने के लिए और खुद के सौंदर्यीकरण के द्वारा अपने समय को बिताया। विभिन्न व्यवस्थाओं को अन्त: पुर के अंदर अपने मनोरंजन के लिए किए गए थे। वहाँ संगीत और नृत्य और महिला गायकों और नर्तकों के एक नंबर की महिला अधीक्षक थी । कभी कभी वे गुलिस्तां और शेख सादी शिराज़ी की बुस्तन तरह किताबें पढ़ते हैं। सभी के अन्त: पुर महिलाओं के बराबर की स्थिति में आनंद नहीं था। उनकी स्थिति और अन्त: पुर में अधिकार और सम्मान की स्थिति जगह वे सम्राट के जीवन में या उसके दिल में था द्वारा निर्धारित किया गया था। उनका आपस में आपसी रिश्ते आमतौर पर मैत्रीपूर्ण और सौहार्दपूर्ण था। हालांकि यह सीधे नहीं दिखाया गया था जब महलों के रनिवास कक्ष में इस तरह की क्रीडाए हुआ करती थी | जिसमे समलैगिकता एक विशेष क्रीडा थी , इस पेंटिंग में हमने समलैगिकता को दो औरतो के बीच दिखाई है और एक राजा अपनी रानी के साथ हुक्का लेते हुए अपने भोग का भी आनंद उठा रहा है | जिस हरम में मदिरा ,हुक्का और फल-फ्रूट सहित अपनी कामुकता में डूबे रहते थे ||