कुंवर साहेब

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(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )

इस पेंटिंग में कलाकार ने महाराजा गंगा सिंह के बचपन को उनकी शाही तलवार के साथ शाही व्यक्तित्व को दिखाने का प्रयास किया है , जो की अपने –आप में एक महान शख्सियत थे | बीकानेर राजस्थान राज्य का एक शहर है। बीकानेर राज्य का पुराना नाम जांगल देश था। इसके उत्तर में कुरु और मद्र देश थे, इसलिए महाभारत में जांगल नाम कहीं अकेला और कहीं कुरु और मद्र देशों के साथ जुड़ा हुआ मिलता है। बीकानेर के राजा जंगल देश के स्वामी होने के कारण अब तक "जंगल धर बादशाह कहलाते हैं। बीकानेर राज्य तथा जोधपुर का उत्तरी भाग जांगल देश था राव बीका द्वारा 1485 में इस शहर की स्थापना की गई। ऐसा कहा जाता है कि नेरा नामक व्यक्ति इस सम्पूर्ण जगह का मालिक था तथा उसने राव बीका को यह जगह इस शर्त पर दी की उसके नाम को नगर के नाम से जोड़ा जाए। इसी कारण इसका नाम बीका+नेर, बीकानेर पड़ा। अक्षय तृतीया के यह दिन आज भी बीकानेर के लोग पतंग उड़ाकर स्मरण करते हैं। बीकानेर का इतिहास अन्य रियासतों की तरह राजाओं का इतिहास है। महाराजा गंगासिंह जी ने नवीन बीकानेर रेल नहर व अन्य आधारभूत व्यवस्थाओं से समृद्ध किया। बीकानेर की भुजिया मिठाई व जिप्सम तथा क्ले आज भी पूरे विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैं। यहां सभी धर्मों व जातियों के लोग शांति व सौहार्द्र के साथ रहते हैं यह यहां की दूसरी महत्वपूर्ण विशिष्टता है। यदि इतिहास की बात चल रही हो तो इटली के टैसीटोरी का नाम भी बीकानेर से बहुत प्रेम से जुड़ा हुआ है। बीकानेर शहर के 5 द्वार आज भी आंतरिक नगर की परंपरा से जीवित जुड़े हैं। कोटगेट, जस्सूसरगेट, नत्थूसरगेट, गोगागेट व शीतलागेट इनके नाम हैं हिन्दुस्थान जैसे सोने की चिड़िया कहलाता है वैसे ही सुरविरो की गाथा भी सुनाता है , हिन्दुस्थान में एक जगह है राजस्थान जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है यहाँ का कल्चर और यहाँ के महल , यहाँ पर राज करने वाले राजाओ की गाथा सुनाता है | जिसमे एक महल हमारे बीकानेर रियासत का है ,लालगढ़ महल | जो महाराजा गंगासिंह जी का महल व गढ़ है |बचपन से ही सुरमाओ की गाथा सुनाता है एक तो उनकी नुरानी तलवार और एक वो सुरवीर की पोशाक का पहनावा और वो खड़े होने व चलने का अंदाज ,जब वो कुंवर थे ,उस उम्र में ही राज –पाट और राज्य चलाने की कला , वो अपने भीतर बाहुबली ताकत के धनी कुंवर साहब का वो अंदाज देख कर ही अच्छे अच्छो को ही पसीना आ जाता , इस पेंटिंग में महाराजा गंगासिंह जी बचपन में ही राजश्री अंदाज का एक अनूठा सगम ,जिसे देख नतमस्तक करने को दिल करता है , ऐसे थे हमारे महाराजा गंगासिंह ,जब वो कुंवर थे ||