महाकाली

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(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )

इस पेंटिंग में कलाकार ने माँ महाकाली का विराट रूप दिखाया है | जब पृथ्वी पर राक्षसों का आंतक चारो और छा गया और देवता भी उनको पराजित नही कर पाए तो माँ काली ने अपना भयानक व विराट रूप धारण किया और सभी असुरो और राक्षसों का संहार किया और माँ के रस्ते में जो भी दानव आया , माँ ने उसे समाप्त कर दिया और सभी दानवो और राक्षसों को मार कर उनकी मुंडी की माला को अपने गले में धारण किया | माँ के इस स्वरूप में उनके दस सिर और दस भुजाये व दस ही पैर दिखाए है | दुष्टों का नाश करके उनके सिर को माला स्वरूप अपने गले में धारण किये हुए और हाथो में अस्त्र शस्त्र धारण किये हुए , यह महाकाली का विराट स्वरूप है | महाकाली की पूजा अर्चना करने से किसी भी प्रकार का किया गया तंत्र – मन्त्र विफल हो जाता है और किसी भी प्रकार के जादू टोने को महाकाली की पूजा से दूर किया जा सकता है और माँ के मात्र दर्शन करने से ही मन और चित में शांति की अनुभूति होती है |काली हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी है | वो असल में सुन्दरीरूप भगवती दुर्गा का काला और डरावना रूप है , जिसकी उत्पति राक्षसों को मारने के लिए हुई थी | उनको खास तोर पर बंगाल और असम , केरल व कश्मीर में पूजा जाता है काली की व्युत्पत्ति काल अथवा समय से हुई है जो सबको ग्रास बना लेता है | माँ का यह विद्वंश रूप है जो नाश करने वाला है पर यह रूप सिर्फ उनके लिए है जो दानवीय प्रकृति के है जिनमे कोई दयाभाव नही है | यह रूप बुराई को खत्म करके अच्छाई को जीत दिलवाने वाला रूप है | अत: माँ काली अच्छे मनुष्यों की शुभेछु है और पूजनीय है ||