ऊँट की सवारी

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(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )

इस पेंटिंग में कलाकार ने सभी जीव-जन्तुओ व मानव को मिलाकर एक अटेक्चर दिखाया है, जैसा की – आप रेगिस्थान के जहाज को तो जानते ही है | रेगिस्थान में सवारी मिलना बहुत ही मुश्किल है , उस रेगिस्थान में ऊँट सवारी और बोझ उठाने के काम आते है | इसीलिए ऊँट को रेगिस्थान का जहाज कहा जाता है | ऊँट अधिकतर भारत के राजस्थान राज्य में पाए जाते है | राजस्थान में ऊँट की कई प्रजातिया पाई जाती है जैसे-बीकानेरी , जैसलमेरी , सीकरी ऊँट पाए जाते है |ऊँट कैमलिडाये कुल का स्तनधारी पशु है | अरबी ऊँट एक कूबड़ वाले और बैकट्रीयन ऊँट दो कूबड़ वाले होते है | अरबी ऊँट का मूल निवास पश्चिमी एशिया के सूखे रेगिस्थान ओए बैकट्रीयन ऊँट का मध्य और पूर्व एशिया है | लम्बी गर्दन और वसा से संग्रहित कूबड़ यही ऊँट की पहचान है | ऊँट लगभग 40 से 50 साल की आयु तक जीवित रह सकते है , ऊँट के भागने की गति लगभग 65 किमी/घंटा की होती है | राजस्थान में ऊँटो की वजह से पर्यटन उधोग को भी बहुत फायदा होता है | ऊँट का दुध , मांस और ऊन भी उपयोग में लिया जाता है | ऊंटनी का दूध बिना उबाले पिया जाए तो क्षय रोग जैसी बीमारी को भी ठीक कर सकता है | वर्तमान में ऊँट की संख्या बहुत कम हो गई है , जिसका मुख्य कारण है – कुपोषण | सरकार को इस रेगिस्थान के जहाज को डूबने से बचाने के लिए कोई दीर्घ कालीन योजना बनानी चाहिए |रेगिस्थान का जहाज कहा जाने वाला ऊँट अपने आप में ही एक अनोखा जहाज है , जिस मिटटी में चलना भी संभव नही होता है , उस मिटटी में ये जहाज हजारो किलोमीटर की दुरिया तय करता है | कलाकार ने इस पेंटिंग में एक ऊँट का अटेक्चर तैयार किया है , जिसके माध्यम से कलाकार ने आपको बताया है – की – किस तरह राजाओ के युग में हाथी , घोड़े , जीव-जन्तु सभी मिलकर हमारे रेगिस्थान में उत्सव मनाया करते थे | इस उत्सव में कलाकार ने जानवर और मानव के बीच एक विशेष स्नेह दिखाया है| कलाकार की एक कल्पना मात्र से , ये एक अकेली मारू , जो इस अटेक्चर के ऊपर अपनी राजश्री सवारी कर रही है और इस जहाज की सवारी का आनद ले रही है ||