शेरॉवाली

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(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )

इस पेंटिंग में कलाकार ने दिखाया है की जब भी माँ अवतार लेती है तो अलग-अलग रूपों में अवतार लेती है और इस पेंटिंग में माँ का जो अवतार दिखाया है वो दो शेरो के रथ पर है और माँ के अलावा जो दो देविया और दिखाई गई है ,वो माँ का ही अंश है | और माँ पृथ्वी की रक्षा के लिए इन्हें आदेश कर रही है ,की पृथ्वी को पापो से मुक्त करो और जब ऐसा विचित्र वाक्य हुआ तो चारो तरफ माँ शेरावाली के शेर – ही – शेर दिखाई दिए |इस विचित्र घटना क्रम की कलाकार कल्पना कर रहा है की - पुराणिक कथाओ में ऐसा होता था ,| प्रेमिका छोड़कर जा सकती है, पत्नी छोड़कर जा सकती है, पुत्र और पुत्रियाँ भी छोड़कर जा सकते हैं, किंतु माँ साँसों की तरह है। माँ इस धरती का नमक है। माँ हमारी नसों में दौड़ता खून है। माँ हमारे हृदय की धड़कन है। माँ के बगैर इस ब्रह्मांड का अस्तित्व नहीं। जिन देहधारी स्त्रियों ने माँ होने का दर्द सहा है। वे जानती हैं कि जगत जननी माँ क्या होती है। कैलाश पर्वत के ध्यानी की अर्धांगिनी माँ सती पार्वती को ही शैलपुत्री‍, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री आदि नामों से जाना जाता है। इसके अलावा भी माँ के अनेक नाम हैं जैसे दुर्गा, जगदम्बा, अम्बे, शेराँवाली आदि, लेकिन सबमें सुंदर नाम तो माँ ही है। माँ को जिसने भी जाना है, वह किसी भी माता की सवारी आने वाली जगह पर नहीं जाएँगे, क्यों‍कि उस विराट शक्ति के समक्ष खड़े होने में देवताओं के दिल काँपते थे, तो उसका किसी के शरीर में आना असत्य है। सत्य के मार्ग पर चलो। सत्य यह है कि चित्त को माँ की श्रद्धा की ओर मोड़ो। माँ को अपनी अँखियों के सामने से मत हटाओ। कम से कम इन नौ दिनों में जानो कि माँ क्या है। उस माँ को भी जिसने तुम्हें ये देह दी और उस माँ को भी जिससे यह जगत जन्मा। डूब जाओ माँ के प्रेम में। जब तक डूबोगे नहीं, तब तक दु:ख और सुख के खेल में उलझे रहोगे। डूबने से ही मुक्ति मिलेगी। वेद, पुराण और गीता सभी कहते हैं कि जो इस प्रेम के सागर में डूबा है वही पार हुआ है। पुराणिक कथाओ में इस बात का विवरण है की जब भी धरती पर पाप बढ़ता है तो उसका नाश करने के लिए माँ ही अवतार लेती है ,,कलाकार की इस पेंटिंग में माँ स्वयं अवतरित होकर और अपने अंश द्वारा दो देविओ को प्रकट करती है ,और उन्हें आदेश करती है की इस धरती से पाप का नाश हो | जब –जब धरती पर संकट आता है तो माँ शेरावाली स्वयं अनेक रूपों में अवतार लेती है और पाप का नाश करती है | इसीलिए हमारे यहाँ माँ शेरावाली का विशेष महत्व है | और माँ शेरावाली ने कई रूपों में अवतार लिया है ||