महिषासुर मर्दनी

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(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )

इस पेंटिंग में कलाकार ने माँ दुर्गा के द्वारा महिषासुर का वध करते हुए दिखाया है ,, जब माँ ने महिषासुर का वध कर दिया तो सभी पृथ्वी वासिओ ने अपनी ख़ुशी को जाहिर करते हुए तुरही बजा कर ऐलान किया की महिषासुर नामक राक्षस मारा गया है और फिर उसी दिन से विजयालक्ष्मी की शुरुआत हुई | देवी दुर्गा ने विजय दशमी ( दशहरा ) के दिन महिषासुर जिसे भैस असुर के नाम से भी जाना जाता है , उस दिन महिषासुर का वध किया था पौराणिक कथाओ के अनुसार महिषासुर के एकाग्र ध्यान से बाध्य होकर देवताओ ने उसे अजय होने का वरदान दे दिया , महिषासुर को वरदान देने के बाद देवताओ में भय व्याप्त हो गया की वह अब शक्ति का दुरूपयोग करेगा | प्रत्याशित प्रतिफल स्वरूप सर्व शक्तिमान भैस असुर महिषासुर ने नरक का द्वार स्वर्ग तक खीच दिया और उसके इस विशाल साम्राज्य को देख देवता विस्मय की स्थिति में आ गये |महिषासुर के इस दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओ ने देवी दुर्गा की रचना की |मान्यता है की देवी दुर्गा के निर्माण में सारे देवताओ का एक समान बल लगाया गया था | महिषासुर का नाश करने के लिए सभी देवताओ ने अपने-अपने अस्त्र देवी को दिए थे और देवताओ के सम्मिलित प्रयास से देवी दुर्गा और बलवान हो गई और महिषासुर का वध करने में सक्षम रही |हिन्दू मिथक के अनुसार महिषासुर एक असुर था | महिषासुर के पिता रंभ असुरो का राजा था | जो एक बार जल में रहने वाले एक भैस से प्रेम कर बैठा और इन्ही के योग से महिषासुर का आगमन हुआ | इसी वजह से महिषासुर इच्छानुसार जब चाहे भैस और जब चाहे मनुष्य रूप धारण कर सकता था | संस्कृत में महिष का अर्थ भैस होता है | महिषासुर सृष्टिकर्ता ब्रम्हा का महान भक्त था और ब्रम्हा जी ने ही उसे वरदान दिया था की कोई भी देवता या दानव उस पर विजय प्राप्त नही कर सकता |महिषासुर बाद में स्वर्ग लोक के देवताओ को परेशान करने लगा और पृथ्वी पर उत्पात मचाने लगा | उसने स्वर्ग पर एक बार अचानक आक्रमण कर दिया और इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर कब्ज़ा कर लिया तथा सभी देवताओ को वहा से खदेड़ दिया | देवगण परेशान होकर त्रिमूर्ति ब्रम्हा ,विष्णु और महेश के पास सहायता के लिए पहुंचे | सारे देवताओ ने मिलकर उसे फिर परास्त करने के लिए युद्ध किया परन्तु वे फिर हार गये | कोई उपाय न पाकर देवताओ ने उसके विनाश के लिए दुर्गा का सृजन किया , जिसे शक्ति और पार्वती के नाम से भी जाना जाता है | देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दशवें दिन उसका वध किया | इसी उपलक्ष्य में हिन्दू भक्तगण दस दिनों का त्यौहार दुर्गा पूजा मनाते है और दशवें दिन को विजयदशमी के नाम से जाना जाता है | जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है ||