सौल्हास

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(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )

इस पेंटिंग में कलाकार ने सभी उत्सवो व त्योहारों पर बजने वाले वाद्ये यंत्रो को दिखाया है और बताया है की सभी उत्सवो व त्योहारों को इन्ही वाद्यों को बजा कर उत्साह के साथ मनाया जाता है | नि:संदेह भारतीय व्रत एवं त्योहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। हमारे सभी व्रत और त्यौहार ,चाहे वह दीपावली पर्व हो या करवाचौथ का व्रत हो ,,सभी व्रत और त्यौहार कहीं न कहीं वे पौराणिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं और उनका वैज्ञानिक पक्ष भी नकारा नहीं जा सकता। हमारा भरसक प्रयास रहेगा कि हम इन पन्नों में अधिक से अधिक भारतीय पर्वों व उपवासों का समावेश कर सकें। भारत को अगर पर्व और त्यौहारों का देश कहा जाए तो गलत न होगा। जितने त्यौहार इस देश में मनाये जाते हैं, शायद ही किसी और देश में मनाये जाते होंगे। यहाँ अनेकता में एकता की झलक खासतौर पर त्यौहारों के मौकों पर ही देखने को मिलती है। पर्व और त्यौहारों का सिलसिला यहाँ वर्ष भर जारी रहता है। वस्तुतः,हमारे देश में कई तरह के त्यौहार मनाये जाते हैं,कुछ धार्मिक जैसे मकर –संक्राति ,शिवरात्रि ,होली, राम-नवमी ,गुरुपूर्णिमा , रक्षाबंधन ,कृष्ण जन्माष्टमी, ईद, गणेशोत्सव, नवरात्र, दशहरा ,करवा-चौथ, छठ पूजा, दीपावली, गोवर्धन-पूजा , गुरु नानक जयंती, क्रिसमस या बड़ादिन |कुछ राष्ट्रीय-त्यौहार अर्थात् जिन्हें सम्पूर्ण राष्ट्र मिलकर मनाता है; जैसे – गणतंत्र-दिवस, स्वतन्त्रता-दिवस ,दो अक्टूबर अर्थात् बापू जी एवं भारतीयों को “जय जवान जय किसान” का नारा देने वाले हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्रीश्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म-दिवस, अम्बेडकर जयंती, सरदार पटेल जयंती और बाल-दिवस | कुछ फसलों से सम्बन्धित-जैसे पंजाब का वैसाखी,असम का बीहू एवं दक्षिणी भारत का ओणम आदि | ऋतुओं से सम्बन्धित त्योहोरों की यदि चर्चा करें तो पंजाब का “लोहड़ी”, राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं उत्तरप्रदेश की “हरियाली तीज’’ तथा बंगाल एवं अन्य कई प्रदेशों में मनाया जाने वाला “वसंतोत्सव” अथवा “सरस्वती-पूजन” अत्यंत उल्लेखनीय है | हमारा देश विविधताओं के साथ-साथ ‘अनेकता में एकता’ वाला देश है अतः चाहे अन्य भी अनेकानेक प्रांतीय त्यौहार चाहे वे किसी समुदाय विशेष ,जाति विशेष, ऋतु-विशेष अथवा धर्म- सापेक्ष ही क्यों न हों—उन सबके पीछे एक ही उद्देश्य होता है –इष्ट -स्मरण एवं आनन्द मनाने के साथ-साथ भाई भाई चारे की भावना को बढ़ाना , ताकि अपनी संस्कृति एवं सभ्यता का पोषण होता रहे |इसका मूल सूचक है कलाकार की यह एक पेंटिंग ,जिसमे सभी उत्सवो को मिलाकर एक नाम दिया है ,,--सौल्हास | जिसका मेन उद्देश्य है की हमारे घर –परिवार –समाज में किसी भी प्रकार का त्यौहार हो ,इन्ही वाद्यो को बजा कर मनाया जाता है ||