अंगराग

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(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )

इस पेंटिंग में कलाकार ने एक महल की बालकनी का दृश्य दिखाया है जिसमे एक आणि अपनी दासी के साथ बालकनी में बैठी है और एक दासी के द्वारा अपनी कमर पर एक सुन्दर सी अदभुत आकृति बनवा रही है , हाथो के अलावा शरीर के किसी भी अंग पर किया गया कार्य अंगराग कहलाता है | अंगराग या सौन्दर्य प्रसाधन ऐसे पदार्थो को कहते है जो मानव शरीर के सोंदर्य को बढ़ाने या सुगन्धित करने के लिए शरीर के विभिन्न अंगो का सोंदर्य अथवा मोहकता बढ़ाने के लिए या उनको स्वच्छ रखने के लिए शरीर पर लगाई जाने वाली वस्तुओ को अंगराग कहते है | अंगराग प्राकृतिक या कृत्रिम दोनों प्रकार के होते है | वे विशेषत: त्वचा को, नाख़ून को सुन्दर और स्वच्छ बनाने के काम आते है | शरीर के किसी अंग पर सोंदर्य प्रसाधन लगाने को मेक-अप कहते है | इसे शरीर का सोंदर्य निखारने के लिए लगाया जाता है | मेक-अप की संस्कृति पश्चिमी देशो से आरम्भ होकर भारत सहित पुरे विश्व में फ़ैल गयी है | मेक-अप कई प्रक्रियाओ की श्रंखला है जो चेहरे या सम्पूर्ण देह की छवि को बदलने का प्रयत्न करती है | यह किसी प्रकार की कमी को ढकने या छिपाने के साथ-साथ सुन्दरता को उभारने का काम भी करती है | अंगराग के प्रादुर्भाव से ही मनुष्य स्वभावतः अपने शरीर के अंगो को शुध्द , स्वच्छ . सुडौल और सुन्दर तथा त्वचा को सुकोमल , मृदु , दीप्तमान और कान्तियुक्त रखने के लिए सतत प्रयत्नशील रहा है | इसमें कोई संदेह नही है की शारीरिक स्वास्थ्य और सोंदर्य प्राय; मनुष्य के आंतरिक स्वास्थ्य और मानसिक शुध्दि पर निर्भर है | तथापि , यह सत्य है की किसी के व्यक्तित्व को आकर्षक और सर्वप्रिय बनाने में सांस्कृतिक इतिहास के अध्ययन से पता चलता है की भिन्न-भिन्न अवसरों पर प्रगतिशील नागरिको द्वारा अंगराग पर गंध शास्त्र सम्बन्धी कलाओ का उपयोग शारीरिक स्वास्थ्य और त्वचा की सोंदर्य वृध्दी के लिए किया जाता रहा है ||