विस्मित सी यशोदा माता
English(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )
इस पेंटिंग में कलाकार ने माता यशोदा और कृष्ण लल्ला की विस्मित कहानी दिखाई है की _ बालकृष्ण सोये हुए है और माँ का मन भगवान में है ,कर्म भी कृष्ण के लिए हो रहा है ,और वाणी भी उसी के गुण गाये जा रही है ,तो बालकृष्ण जाग गये है ,और पलग से उतर कर माँ के पास गये ,और बोले की भूख लगी है ,माँ दूध पिलाने लगी |लेकिन रसोईघर में दूध उबाल खाकर निचे गिर रहा था |माँ ने सोचा की मेरे लाला की आयु कम न हो जाये ,क्योकि ऐसी मान्यता है –की अगर घर में गोदी का बालक हो और गाये का दूध अग्नि में जले तो बच्चे की आयु कम होती है | माँ ने कृष्ण को गोदी से उतारा और दूध को उतारने के लिए गई ,| उधर दूध उफन रहा था और यहाँ पूत उफनने लगा | भगवान बोले माँ को पूत से ज्यादा दूध प्यारो है | मोको छोड़ चली गई | भगवान मन में बोले की तुझे लीला में क्रोध है | अगर सच में क्रोध आया तो ब्रम्हाण्ड नष्ट हो जायेगा चलो ब्रम्हाण्ड नही तो इस मांड को ही नष्ट कर दू | भगवान ने पत्थर उठा कर मटकी पर दे मारा और मटकी फोड़ दी जब माँ ने आकर देखा की लाला ने मटकी फोड़ दी है तो पहले तो हंसने लगी ,लेकिन फिर सोचा की लाला ज्यादा बिगड़ गयो है इसे मारुगी | तो भगवान को मरने के लिए दोडी | आज कृष्ण आगे –आगे भाग रहे है और माँ पीछे –पीछे दोड़ लगा रही है | श्री कृष्ण दोड़ते –दोड़ते महल के प्राआगन में पहुचे | अब कान्हा की बारी थी | माँ को अपनी लीलाए दिखने की , इस पेंटिंग के माध्यम से कलाकार आपको ये दिखाना चाह रहे है | भगवान जब महल में पहुचे , तो अपने पीछे आती अपनी माता को देख उन्होंने अपनी एक लीला दिखाई ,,पत्थर के खम्भे में कान्हा अपने –आप को माखन खिला रहा है | जब पीछे माँ दोड़ते दोड़ते आई तो देखकर आश्चर्ये चकित रह गई ,की यहाँ तो कान्हा दो है | जबकि कान्हा तो वहा थे ही नही ,कान्हा दुसरे खम्भे के पीछे अपनी माता को अचम्भित देख रहे हे और खिल –खिला कर हंस रहे है | यहाँ माता यशोदा और श्री कृष्ण की विस्मित कहानी है ||