प्रकृति
English(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )
प्रकृति और स्त्री , सदियो से तुम डरते रहे प्रकृति से, सोचकर जो है सृजन के साथ विनाश की भी देवी , तुम उसे कभी समझ नही पाए , जैसे –कभी समझ नही पाए तुम स्त्री को भी ,,,, ओजार और सता हाथ में आते ही , पहले किया प्रकृति को तबाह , करने को उन पर एकक्षत्र राज , कभी न सुनी स्त्री की भी आह , सृजनशीलता की जादुई डिबिया में बन्द , कैद रह गयी हमेशा उनकी आवाज ,,,, तुमने स्थापित किया देवियो को , घर से बाहर , बनाकर मंदिर ,, तुम्हारी बनायीं विकसित दुनिया में , ताकि , हमेशा के लिए उन मंदिरों में , पुरातन सभ्यता की देविया रह जाए बंदी,,,,,, मातृसतात्मकता के शब्द जाल में कैद ये देविया हर साल अलग – अलग नामो से , तुम्हारे ही हाथो से लेती है आकार , तुम्ही उतारते हो उनकी आरती , फिर करते हो , अपने ही हाथो उनका अंतिम संस्कार ,,,,,, तुमने धरती पर खोद डाला , उनके गर्भ से निकलने को , आर्थिक वर्चस्व के लिए सम्पदा अपार ,पीढ़ियों पर करने को अधिकार , तुमने अनसुनी कर दी स्त्री की चित्कार ,,,,,, फिर आज कोन सी ताकत तुम्हे , खीच लाती है इन देवियो के दर , वो है सिर्फ और सिर्फ , प्रकृति और स्त्री से तुम्हारा डर ,,,,,|