कृष्ण तरण ताल
English(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )
इस पेंटिंग में कलाकार ने दो पेड़ो की हरियाली और छाया के बीच बना श्री कृष्णा का कृष्ण तरण ताल दिखाया है जिसमे माता रुक्मणी की सात सहेलिया पहले से ही स्नान कर रही है , भगवान कृष्ण और रुक्मणी को आते देख वो सखिया भावुकता से दोड़ पड़ी ,,जब श्री कृष्ण रुक्मणी जी को गोद में उठा कर जब कृष्ण तरण ताल में जा रहे थे तो उनकी दस सखिया मधुर गायन कर रही थी ,और उनकी चार सखिया भगवान और माता के स्नान के बाद उनका स्वागत करने के लिए उनके वस्त्र , पुष्प आदि लेकर बड़ी ही आतुरता के साथ उनका इन्तजार कर रही है | इस पेंटिंग में कलाकार ने बहुत ही दुर्लभ तरण ताल दिखाया है भगवान श्री कृष्णा का ,जो युगों-युगों से चला आ रहा है | तरण ताल तैराकी का या जल –आधारित मनोरजन के इरादे से पानी से भरे एक स्थान को कहते है |जिस तरण ताल को कई लोगो द्वारा या आम जनता के द्वारा उपयोग किया जाता है उसे पब्लिक तरण ताल कहते है | जबकि विशेष रूप से कुछ लोगो द्वारा या किसी घर में इस्तेमाल किये जाने वाले तरण ताल को प्राइवेट तरण ताल कहा जाता है | इसी तरण ताल में एक द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण का तरण ताल दिखाया गया है ,आज के युग में जैसे स्विमिंग पूल का इस्तेमाल किया जाता है वैसे ही द्वापर युग में एक जोह्डा का इस्तेमाल किया जाता था , जिसे तरण ताल कहते थे | इस पेंटिंग के माध्यम से कलाकार ने आपको भगवान श्री कृष्ण का तरण ताल दिखाया है | जिसमे भगवान रुक्मणी को अपनी गोद में उठाकर बड़े ही भावनात्मक प्रेम से जोहड़े में स्नान के लिए लेकर जा रहे है जहा रुक्मणी जी की दासिया उनके स्नान के बाद उनके वस्त्र और मालाये पहनाकर उन्हें सुसज्जित करने वाली है | जैसे आज स्विमिंग पूल होता है –वैसे ही द्वापर युग में कृष्ण तरण ताल होता था ||