रनिवास में काम-लीला

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(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )

इस पेंटिंग में कलाकार ने प्राचीन काल के महल का दृश्य दिखाया है इस पेंटिंग में महल की जो नक्काशिया और यूनिक परदे व इसके यूनिक खम्भे है वो इस महल के दृश्य की एक अलग ही शोभा बढ़ा रहे है इस महल के मध्य में एक रनिवास है जहा राजा अपनी रानी को अपने आगोश में लिए हुए काम-लीलाओ में डूबा हुआ है , दूसरी और एक पटरानी सुसज्जित अवस्था में राजा को मदिरा पेश कर रही है ,और आमने दो पटरानियो को अर्द्ध नग्न अवस्था में एक-दुसरे के साथ योवन की अठखेलिया करते हुए दिखाया है | इन मुग़ल काल की पेंटिंगो में रनिवास में काम-लीलाओ की खास पेंटिंग दर्शाई जाती थी जिसमे से एक यह पेंटिंग है – रनिवास में काम-लीला | जब इस स्रष्टि का निर्माण हुआ ,तौ उसमे प्यार , आकर्षण की एक बहुत बड़ी भूमिका थी , इस संसार को चलाने में प्यार का एक बहुत बड़ा रोल है , पुराणिक काल में हमारे मुग़ल और राजपूत शासन काल में भी रनिवास में जब राजा जाता तो रानी के साथ कामलीलाओ में डूब जाता था व अन्य रानिया व दासिया उस राजा को लुभाने के लिए सेक्स की और आतुर करने के लिए अपने योवन का अंग प्रदर्शन करती , अपनी अर्ध नग्न अवस्था में मदिरा पान करते हुए , महारानी के योवन के साथ अठखेलिया करते हुए राजा कामलीलाओ में डूब जाते | जिस में वह सुन्दर महल , वो मनमोहक रानी और उसकी सखियो का श्रंगार , राजा में कामुकता लाने में मुख्य योगदान निभाते ||