मद विलास

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(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )

इस पेंटिंग में कलाकार ने एक सुन्दर महल का द्र्श्ये दिखाया है , जहा एक सुन्दर बालकनी में फूलो की सुगन्धित खुशबु के साथ मध्य रात्रि में मोमबती के झूमर के निच्चे कुछ , कुछ दासिओ के द्वारा राजा को लुभाने के लिए संगीत का प्रयोग किया जा रहा है ,वही एक और दासी द्वारा चंवर से हवा देते हुए , और दो पटरानियो द्वारा राजा को अपने योवन से आकर्षित करते हुए , वही राजा अपनी प्रिय रानी के साथ मदिरा का पान करते हुए , नृत्ये और योवन का लुफ्त उठाते रहा है ऐसे दृश्य रनिवास में मध्य रात्रि में देखने को मिलता है | मुग़ल और राजपूत शासन काल में मद-विलास का एक अनूठा संगम है |जिसमे पहले कुछ राजा रनिवास में मद-विलास , भोग विलास जैसी क्रियाए करते थे | हमारी इस पेंटिंग में एक सुन्दर महल है जिसके मुख्य प्रांगण में रनिवास का कक्ष है जहा राजा अपनी पटरानी के साथ मद-विलास का आनंद उठा रहे है , जिसमे कुछ दासियों के द्वारा वीणा ,ढोलक वाद्ये यंत्रो को बजाया जा रहा है कुछ के द्वारा चंवर से हवा का छोला को चलाते हुए , और कुछ दासियों के द्वारा राजा के सामने अपने सुन्दर यौवन का मद करवाते हुए ,,राजा अपनी रानी के साथ इस भोग-विलास का आनद उठा रहा है | जो एक मन मोहने वाला द्रश्य है ||