गज, नारियां, और युगल

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(यह एक मुंह देखने वाला दर्पण है , और इस पर की गई कला को नक्काशी कहते है )

इस पेंटिंग में कलाकार ने भगवान कृष्ण और रुक्मणी के प्रति गोपियों का जो समर्पण है वो दिखाने का प्रयास किया है | गोपियों का यह समर्पण देख कर आसमान से परिया स्वयं उनके स्वागत के लिए धरती पर आकर भाव-विभोर हो , चारो तरफ से चक्र बनाकर उनका फूलो से स्वागत कर रही है | गोकुल में भगवान श्री कृष्ण की वैसे तो बहुत-सी कथाये प्रसिद्ध है , लेकिन उसमे से एक कलाकार की ये कहानी भी काल्पनिक है , भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी जी वन में भ्रमण करने गये , और महल से जब निकले तो गज पर सवार थे , और दासिया उनके पीछे- पीछे थी ,जो देवी रुक्मणी जी की सेवा में हमेशा तत्पर रहने वाली उनकी दासिया , जो उनकी सखिया भी थी | भगवान कृष्ण –रुक्मणी जब वन में पहुचे और वन में पहुच कर श्री कृष्ण और रुक्मणी जी हाथी से उतर कर , जंगल को देखने लगे और जंगल के बाग़-बगीचों में रुक्मणी जी अठखेलिया कर खेलने लगी थी | इसी दोरान जिस हाथी पर सवारी करके ये आये थे , वो वन में चरते-चरते आगे निकल गया ,और काफी इन्तजार के बाद भी उनका हाथी (गज )वापिस नही आया तो सखियों ने भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी जी को महल ले जाने के लिए गज का रूप धरा और दोनों को अपने ऊपर विराजमान किया और महल ले गये | इससे भगवान श्री कृष्ण और माता रुक्मणी के प्रति जो दासियों और सखियों का जो समर्पण था या भगवान के प्रति समर्पण था वो दिखाया गया है | इसीलिए हमने इसे नाम दिया है –गज-नारिया और युगल ||